भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|संग्रह=यह एक दिन है / प्रयाग शुक्ल
}}
 <Poem>
बच्चों को नींद में
 
छोड़ कर हम चले आते हैं ।
 
हमारी नींद में
 
बच्चे आते हैं
 
सुबह हम एक-दूसरे को
 
अलग-अलग
 
शहरों में पाते हैं ।
 
एक-दूसरे से बातें करते
 
हज़ारों मील दूर ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits