Changes

माँ / कुँअर बेचैन

137 bytes removed, 06:57, 3 जनवरी 2009
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुँअर बेचैन|संग्रह=
}}
<Poem>
माँ!
 
तुम्हारे सजल आँचल ने
 
धूप से हमको बचाया है।
 
चाँदनी का घर बनाया है।
 
तुम अमृत की धार प्यासों को
 
ज्योति-रेखा सूरदासों को
 
संधि को आशीष की कविता
 
अस्मिता, मन के समासों को
 
माँ!
 
तुम्हारे तरल दृगजल ने
 
तीर्थ-जल का मान पाया है
 
सो गए मन को जगाया है।
 
तुम थके मन को अथक लोरी
 
प्यार से मनुहार की चोरी
 
नित्य ढुलकाती रहीं हम पर
 
दूध की दो गागरें कोरी
 माँ!
तुम्हारे प्रीति के पल ने
 
आँसुओं को भी हँसाया है
 
बोलना मन को सिखाया है।
 '''''-- यह कविता [[Dr.Bhawna Kunwar]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br/poem><br>'''''
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,382
edits