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पता नहीं / जयप्रकाश मानस

1 byte added, 20:55, 4 मार्च 2008
नाचा के मुखौटे<br>
कभी भी मिल सकते हैं<br>
यह सब पता है हम सभीको सभी को <br>
पता नहीं है <br>
हम कहाँ उड़ रहे...
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