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मोह- माया व्यापे नही जेने<br>
द्रिढ़ वैराग्य जेना मन मा रे<br>
राम नाम सुन शुँ ताळी लागी<br>सकळ तिरथ तेना तन मान मा रे<br>
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥<br><br>
वण- लोभी ने कपट- रहित छे<br>
काम- क्रोध निवार्या रे<br>
भणे नरसैय्यो तेनुन तेनुँ दर्शन कर्ताकर्ताँ<br>
कुळ एकोतेर तारया रे<br>
वैश्णव जन तो तेने कहिये जे ॥
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