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जिनमें दधीचि की हड्डी है,
यह वज्र इंद्र का है पंचंड प्रचंड !
जो है गतिशील सभी ऋतु में
ये ढाल अभी से बने
छीन नेने लेने को दुर्दिन के प्रहार !
हे ग्राम देवता ! नमस्कार !
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