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हुस्न-ए-अदा भी खूबी-ए-सीरत में चाहिए,<br>यह बढ़ती दौलत, ऐसी ही दौलत में चाहिए ।<br>
यह बढ़ती दौलतआ जाए राह-ए-रास्त पर काफ़िर तेरा मिज़ाज, ऐसी ही दौलत <br>इक बंदा-ए-ख़ुदा तेरी ख़िदमत में चाहिए ।<br>
देखे कुछ उनके चाल-चलन और रंग-ढंग,<br>
दिल देना इन हसीनों को मुत में चाहिए ।<br>
आ जाए राहयह इश्क़ का है कोई दारूल-ए-रास्त पर काफ़िर तेरा मिज़ाजअमां नहीं,<br>हर रोज़ वारदात मुहब्बत में चाहिए ।<br>
इक बंदा-ए-ख़ुदा तेरी ख़िदमत माशूक़ के कहे का बुरा मानते हो ‘दाग़‘,<br>बर्दाश्त आदमी की तबीअत में चाहिए ।<br>
देखे कुछ उनके चाल-चलन और रंग-ढंग, दिल देना इन हसीनों को मुत में चाहिए । यह इश्क़ का है कोई दारूल-अमां नहीं, हर रोज़ वारदात मुहब्बत में चाहिए । माशूक़ के कहे का बुरा मानते हो ‘दाग़‘, बर्दाश्त आदमी की तबीअत में चाहिए । हुस्न-ए-अदा: बात करने का सलीक़ा,<br>सीरत: चरित्र,<br>राह-ए-रास्त: सीधा रास्ता,<br>दारूल-अमां: शांति स्थल ।<br>