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Kavita Kosh से
Have put in commas that were missing and their absence was giving an entirely different meaning to the poem.
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वे मुस्काते फूल , नहीं<br>
जिनको आता है मुर्झाना,<br>
वे तारों के दीप , नहीं <br>
जिनको भाता है बुझ जाना <br><br>
जिसमें बेसुध पीड़ा, सोती <br><br>
वे नीलम के मेघ , नहीं <br>
जिनको है घुल जाने की चाह <br>
वह अनन्त रितुराज,नहीं <br>
ऎसा तेरा लोक, वेदना <br>
नहीं,नहीं जिसमें अवसाद, <br>
जलना जाना नहीं , नहीं <br>
जिसने जाना मिटने का स्वाद<br>
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