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हनुमान चालीसा / तुलसीदास

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कवि: [[तुलसीदास]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=तुलसीदास]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~}}
श्री गुरू चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि,<br>
बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥1॥<br><br>