भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आना / केदारनाथ सिंह

79 bytes removed, 06:22, 19 जनवरी 2009
{{KKGlobal}}
{{KKRachna|रचनाकार: [[=केदारनाथ सिंह]]|संग्रह=अकाल में सारस / केदारनाथ सिंह }}
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:केदारनाथ सिंह]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ <Poem>
आना
 
जब समय मिले
 
जब समय न मिले
 
तब भी आना
 
आना
 
जैसे हाथों में
 
आता है जांगर
 
जैसे धमनियों में
 
आता है रक्त
 
जैसे चूल्हों में
 धीरे-धीरे आती है आंचआँच
आना
 
आना जैसे बारिश के बाद
 
बबूल में आ जाते हैं
 नए-नए कांटेकाँटे
दिनों को
 
चीरते-फाड़ते
 और वादों की धज्जियां धज्जियाँ उड़ाते हुए 
आना
 
आना जैसे मंगल के बाद
 
चला आता है बुध
 
आना
  'अकाल में सारस' नामक कविता-संग्रह से</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits