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Kavita Kosh से
खपरैलों-छेदों से
खिड़की की दरारों से
आती जब किरणें हैहैं
तो सज्जन वे, वे लोग
अचंभित होकर, उन दरारों को, छेदों को
जाकर उन्हें कह दे कोई,
पहुँचा दे यह जवाब!!
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