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भविष्य के लिए / मोहन साहिल

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<Poem>

मत सोचना तुम
कि रात बहुत डरावनी होती है
और अँधेरा पापों के कारण
न ही चाँद के बारे में सोचना तुम
कि लगता है तुम्हारा भी कुछ

दिन के बारे में भी मत रखना भ्रम
बीतेगा हँसी खुशी
अपनों के बीच सुनाते चुटकुले
या छेड़ते हुए मधुर तान

शाम को मत सोचना
अकेलेपन की बात
या ठंडी हवाओं के बारे में

सोचना तुम रात को
माँ की वत्सल गोद में
सोना निर्भय अँधेरा बढ़ाएगा
तुम्हारी आंखों की क्षमता
चाँद को सोचना तुम
दूर कोई पत्थर-मिट्टी का ढेला
सूरज से उधार ले चमकता हुआ


दिन में तुम्हें उदास कर सकता है
तुम्हारी कोमल भावनाओं का
उड़ा सकता है उपहास
सतर्क रहना हमेशा
एक-एक कदम करना रास्ता तय


उत्सव की तरह गुज़ारना शाम
खूब दीये जलाना
दूर करना आस-पास के भी अँधेरे

मत सोचना राक्षस के बारे में
क्योंकि राक्षस का जन्म
तुम्हारी सोच से ही होगा।
</poem>
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