भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इतवार / अनूप सेठी

1,489 bytes added, 19:43, 20 जनवरी 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनूप सेठी }} <poem> आओ इतवार मनाएँ देर से उठें चाय पि...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनूप सेठी
}}
<poem>
आओ इतवार मनाएँ
देर से उठें
चाय पिएं
और चाय पिएँ
अखबार को सिर्फ उलट पलट लें
हाथ न लगाएं
सिर्फ चाय का गिलास घुमाएँ

किसी को न बुलाएँ
नहाना भी छोड़ दें
खाना अकेले खाएं

बाजार ख्रीदारी स्थगित कर दें अगले हफ्ते तक
केरोसिन ले लें दस रुपए ज्यादा देकर

एक पुरसुकून दोपहर हो
ढीलमढाल पसरे रहें

पुरानी एलबम निकालें
पहली सालगिरह याद करें
बातें करें
बचपन की, कालेज की, नाटक की कविताई की

सारे सपनों की धूल झाड़ें
बिस्तर के इर्द गिर्द बिछा लें
इतवार की शाम
आंखों में आँखें डाल सो जाएँ

एक इतवार तो हो
अपने से बाहर निकल
अपने में खो जाएँ।

(1985)

</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits