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{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत
|संग्रह=दिन गुलाब होने दो / ओमप्रकाश् सारस्वत
}}
<Poem>
'''(1)'''
जाड़े की धूप
सरसों के फूलों का
ठंडा-सा सूप
'''(2)'''
ठंडा शहर
हारे हुए लोगों का
अंधा पहर
'''(3)'''
सूर्य की चाल
हांफा-सा आरोह औ
कांपा-सा ताल
'''(4)'''
बर्फ में धूप
'''रिज1''' की हथेली पे
पारे का रूप
'''(5)'''
बर्फ में नदी
भीतर-ही-भीतर घुटती सदी
'''(6)'''
बर्फ में लोग
योग के घेरे में
फँसे हुए भोग
'''(7)'''
धूप की माया
विष्णु की छाती पर
लक्ष्मी की '''छाया'''2
---------------------
'''1. शिमला नगर का एक प्रसिद्ध स्थान।
2. ये लघु गीत हाईकु छंद में है। 'हाईकु'जापानी छंद है जिसमें 5-7-5 वर्णों का क्रम रहता है।'''
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत
|संग्रह=दिन गुलाब होने दो / ओमप्रकाश् सारस्वत
}}
<Poem>
'''(1)'''
जाड़े की धूप
सरसों के फूलों का
ठंडा-सा सूप
'''(2)'''
ठंडा शहर
हारे हुए लोगों का
अंधा पहर
'''(3)'''
सूर्य की चाल
हांफा-सा आरोह औ
कांपा-सा ताल
'''(4)'''
बर्फ में धूप
'''रिज1''' की हथेली पे
पारे का रूप
'''(5)'''
बर्फ में नदी
भीतर-ही-भीतर घुटती सदी
'''(6)'''
बर्फ में लोग
योग के घेरे में
फँसे हुए भोग
'''(7)'''
धूप की माया
विष्णु की छाती पर
लक्ष्मी की '''छाया'''2
---------------------
'''1. शिमला नगर का एक प्रसिद्ध स्थान।
2. ये लघु गीत हाईकु छंद में है। 'हाईकु'जापानी छंद है जिसमें 5-7-5 वर्णों का क्रम रहता है।'''
</poem>