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{गीता.[बाल] 055.राग} कान्हरा{गीता.[बाल] 055.01} सोहत मग मुनि सँग दोउ भाई |{गीता.[बाल] 055.01} तरुन तमाल चारु चम्पक-छबि कबि-सुभाय कहि जाई ||{गीता.[बाल] 055.02} भूषन बसन अनुहरत अंगनि, उमगति सुन्दरताई |{गीता.[बाल] 055.02} बदन मनोज सरोज लोचननि रही है लुभाइ लुनाई ||{गीता.[बाल] 055.03} अंसनि धनु, सर कर-कमलनि, कटि कसे हैं निखङ्ग बनाई |{गीता.[बाल] 055.03} सकल भुवन सोभा सरबस लघु लागति निरखि निकाई ||{गीता.[बाल] 055.04} महि मृदु पथ, घन छाँह, सुमन सुर बरष, पवन सुखदाई |{गीता.[बाल] 055.04} जल-थल-रुह फल, फूल, सलिल सब करत प्रेम पहुनाई ||{गीता.[बाल] 055.05} सकुच सभीत बिनीत साथ गुरु बोलनि-चलनि सुहाई |{गीता.[बाल] 055.05} खग-मृग-चित्र बिलोकत बिच-बिच, लसति ललित लरिकाई ||{गीता.[बाल] 055.06} बिद्या दई जानि बिद्यानिधि, बिद्यहु लही बड़ाई |{गीता.[बाल] 055.06} ख्याल दली ताडुका, देखि ऋषि देत असीस अघाई ||{गीता.[बाल] 055.07} बूझत प्रभु सुरसरि-प्रसङ्ग कहि निज कुल कथा सुनाई |{गीता.[बाल] 055.07} गाधिसुवन-सनेह-सुख-सम्पति उर-आश्रम न समाई ||{गीता.[बाल] 055.08} बनबासी बटु, जती, जोगि-जन साधु-सिद्ध-समुदाई |{गीता.[बाल] 055.08} पूजत पेखि प्रीति पुलकत तनु नयन लाभ लुटि पाई ||{गीता.[बाल] 055.09} मख राख्यो खलदल दलि भुजबल, बाजत बिबुध बधाई |{गीता.[बाल] 055.09} नित पथ-चरित-सहित तुलसी-चित बसत लखन रघुराई ||{गीता.[बाल] 056.01} मञ्जुल मङ्गलमय नृप-ढोटा |{गीता.[बाल] 056.01} मुनि, मुनितिय, मुनिसिसु बिलोकि कहैं मधुर मनोहर जोटा ||{गीता.[बाल] 056.02} नाम-रुप-अनुरुप बेष बय, राम लखन लाल लोने |{गीता.[बाल] 056.02} इन्हतें लही है मानो घन-दामिनि दुति मनसिज, मरकत, सोने ||{गीता.[बाल] 056.03} चरनसरोज, पीतपट, कटितट, तून-तीर-धनुधारी |{गीता.[बाल] 056.03} केहरिकन्ध काम-करि-करवर बिपुल बाहु, बल भारी ||{गीता.[बाल] 056.04} दूषन-रहित समय सम भूषन पाइ सुअंगनि सोहैं |{गीता.[बाल] 056.04} नव-राजीव-नयन, पुरन बिधुबदन मदन मन मोहैं ||{गीता.[बाल] 056.05} सिरनि सिखण्ड, सुमन-दल-मण्डन बाल सुभाय बनाये |{गीता.[बाल] 056.05} केलि-अंक तनु-रेनुपङ्क जनु प्रगटत चरित चोराये ||{गीता.[बाल] 056.06} मख राखिबे लागि दसरथ सों माँगि आश्रमहि आने |{गीता.[बाल] 056.06} प्रेम पूजि पाहुने प्रानप्रिय गाधिसुवन सनमाने ||{गीता.[बाल] 056.07} साधन-फल साधक सिद्धनिके, लोचन-फल सबहीके |{गीता.[बाल] 056.07} सकल सुकृत-फल, मातु-पिताके, जीवन-धन तुलसीके ||
{गीता.[बाल] 057.01} अहल्योद्धार
{गीता.[बाल] 057.राग} सूहो
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