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|जन्म=30 जनवरी 1889
|जन्मस्थान=वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत
|मृत्यु=14 जनवरी 15 नवम्बर 1937|कृतियाँ=[[कामायनी / जयशंकर प्रसाद | कामायनी]], [[आँसू / जयशंकर प्रसाद|आँसू]], [[कानन-कुसुम / जयशंकर प्रसाद|कानन-कुसुम]], प्रेम पथिक, [[झरना / जयशंकर प्रसाद|झरना]], [[लहर / जयशंकर प्रसाद|लहर]], |विविध=हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। प्रसाद जी ने हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई और वह काव्य की सिद्ध भाषा बन गई।
|अंग्रेज़ीनाम=Jaishankar Prasad, Jai Shankar Prasad, Kamayani, Jharna, Lahar, Aansoo, Kanan Kusum
|जीवनी=[[जयशंकर प्रसाद / परिचय]]
|shorturl=prasad
|gadyakosh=जयशंकर प्रसाद
}}
* '''[[कामायनी / जयशंकर प्रसाद]]''' (महाकाव्य)
* '''[[आँसू / जयशंकर प्रसाद]]''' (लम्बी रचना)
* '''[[झरना / जयशंकर प्रसाद]]'''
* '''[[कानन-कुसुम / जयशंकर प्रसाद]]'''
* '''[[लहर / जयशंकर प्रसाद]]'''
* [[चित्राधार / जयशंकर प्रसाद]]
* [[आह ! वेदना मिली विदाई / जयशंकर प्रसाद]]
* [[सब जीवन बीता जाता है / जयशंकर प्रसाद]]
* [[हिमाद्रि तुंग शृंग से / जयशंकर प्रसाद]]