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उंगलियों की ओट में सुकुमार सब सपने बचा लूं!<br><br>
लय बनी म्रदु मृदु वर्तिका<br> हर स्वर बना बन लौ सजीली,<br>
फैलती आलोक सी <br>
झंकार मेरी स्नेह गीली <br>
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