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|रचनाकार=सौदा
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[[category: ग़ज़ल]]

<poem>
गर दम से जुदा तन को रखा देर हवा पर
अब दर-ब-दर इस ख़ाक को मत फेर हवा पर

लाता है बलंदी से शिकम1 सबको ब-पस्ती2
तायर3 को भी होते न सुना सेर4 हवा पर

क्या जानिए किस आलि-ए-दौराँ की5 है ये ख़ाक
उठता है बगूला जो हुआ ढेर हवा पर

वो शोबदाबज़ आके उड़ा जावे है यूँ दिल
करता है कोई जैसे कि हथफेर हवा पर

बाँधूँ हूँ मैं जिस तरह से मज़मून6 ज़बरदस्त
रुस्तम न करे देव7 को यूँ ज़ेर8 हवा पर

है ज़ोफ़9 से यूँ नाला10 तिरा रोने में 'सौदा'
सावन में पपीहा की हो जूँ टेर हवा पर

'''शब्दार्थ:

1. पेट 2. पस्ती तक 3. पक्षी 4. तृप्त 5. समय से किस श्रेष्ठ व्यक्ति की 6. विषय 7. दानव 8. हराना 9. निर्बलता 10. क्रंदन
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