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सब बुझे दीपक जला लूँ / महादेवी वर्मा
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16:32, 14 मई 2007
लय बनी मृदु वर्तिका<br>
हर स्वर बना बन लौ सजीली,<br>
फैलती आलोक सी <br>
झंकार मेरी स्नेह गीली <br>
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Ramadwivedi