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रत्न जटित प्रासादों से भी बढ़कर शोभा पाते हैं
बट-पीपल की शीतल छाया फैली कैसी है चहुँ ओर है
द्विजगण सुन्दर गान सुनाते नृत्य कहीं दिखलाते मोर ।
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