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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=बशीर बद्र]][[Category:कविताएँ]]}}
[[Category:गज़ल]]
[[Category:बशीर बद्र]]<poem>कोई काँटा चुभा नहीं होतादिल अगर फूल सा नहीं होता
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगीयूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
कोई काँटा चुभा नहीं होता <br>गुफ़्तगू उन से रोज़ होती हैदिल अगर फूल सा मुद्दतों सामना नहीं होता <br><br>
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी<br>जी बहुत चाहता सच बोलेंयूँ कोई बेवफ़ा क्या करें हौसला नहीं होता <br><br>
गुफ़्तगू उन से रोज़ होती है<br>मुद्दतों सामना नहीं होता <br><br> जी बहुत चाहता सच बोलें<br>क्या करें हौसला नहीं होता <br><br> रात का इंतज़ार कौन करे<br>आज कल दिन में क्या नहीं होता<br><br/poem>