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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=बशीर बद्र]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:बशीर बद्र]]<poem>ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहेमहफ़िलों महफ़िलों गुनगुनाते रहे
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~आँसुओं से लिखी दिल की तहरीर कोफूल की पत्तियों से सजाते रहे
ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहे<br>ग़ज़लें कुम्हला गईं नज़्में मुरझा गईंमहफ़िलों महफ़िलों गुनगुनाते रहे<br><br>गीत सँवला गये साज़ चुप हो गये
आँसुओं से लिखी दिल की तहरीर को<br>फिर भी अहल-ए-चमन कितने ख़ुशज़ौक़ थेफूल की पत्तियों से सजाते नग़्मा-ए-फ़स्ल-ए-गुल गुनगुनाते रहे<br><br>
ग़ज़लें कुम्हला गईं नज़्में मुरझा गईं<br>तेरी साँसों की ख़ुशबू लबों की महकगीत सँवला गये साज़ चुप हो गये<br><br>जाने कैसे हवायें उड़ा लाईं थी
फिर भी अहल-ए-चमन कितने ख़ुशज़ौक़ थे<br>नग़्मा-ए-फ़स्ल-ए-गुल गुनगुनाते रहे<br><br> तेरी साँसों की ख़ुशबू लबों की महक<br>जाने कैसे हवायें उड़ा लाईं थी<br><br> वक़्त का हर क़दम भी बहकता रहा<br>ज़क़्त ले पाँव भी डगमगाते रहे<br><br/poem>