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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=बशीर बद्र]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:बशीर बद्र]]<poem>दूसरों को हमारी सज़ायें न देचांदनी रात को बद-दुआयें न दे
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~फूल से आशिक़ी का हुनर सीख लेतितलियाँ ख़ुद रुकेंगी सदायें न दे
दूसरों को हमारी सब गुनाहों का इक़रार करने लगेंइस क़दर ख़ुबसूरत सज़ायें न दे<br>चांदनी रात को बद-दुआयें न दे <br><br>
फूल से आशिक़ी का हुनर सीख ले<br>मोतियों को छुपा सीपियों की तरहतितलियाँ ख़ुद रुकेंगी सदायें बेवफ़ाओं को अपनी वफ़ायें न दे <br><br>
सब गुनाहों का इक़रार करने लगें<br>इस क़दर ख़ुबसूरत सज़ायें न दे <br><br> मोतियों को छुपा सीपियों की तरह<br>बेवफ़ाओं को अपनी वफ़ायें न दे <br><br> मैं बिखर जाऊँगा आँसूओं की तरह<br>इस क़दर प्यार से बद-दुआयें न दे <br><br/poem>