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कौन आया रास्ते आईनाख़ाने हो गये / बशीर बद्र
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02:37, 10 फ़रवरी 2009
जाओ उन कमरों के आईने उठाकर फेंक दो
वे
वो
अगर ये कह रहें हो हम पुराने हो गए
मेरी पलकों पर ये आँसू प्यार की तौहीन हैं
मेरी पलकों पर ये आँसू प्यार की तौहीन है
उनकी आँखों से गिरे मोती के दाने हो गए
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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