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{{KKRachnakaarParichay
|रचनाकार=ग़ालिब
}}
“हैं और भी दुन्या में सुख़न्वर बहुत अच्छे<br>
कह्ते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए बयां और”