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{{KKRachna
|रचनाकार =रघुवीर सहाय
}}
<poem>
चंद्रकांत बावन में प्रेम में डूबा था
सत्तावन में चुनाव उसको अजूबा था
बासठ में चिंतित उपदेश से ऊबा था
सरसठ में लोहिया था और ... क्यूबा था
फिर जब बहत्तर में वोट पड़ा तो यह मुल्क नहीं था
हर जगह एक सूबेदार था हर जगह सूबा था
अब बचा महबूबा पर महबूबा था कैसे लिखूँ
</poem>
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|रचनाकार =रघुवीर सहाय
}}
<poem>
चंद्रकांत बावन में प्रेम में डूबा था
सत्तावन में चुनाव उसको अजूबा था
बासठ में चिंतित उपदेश से ऊबा था
सरसठ में लोहिया था और ... क्यूबा था
फिर जब बहत्तर में वोट पड़ा तो यह मुल्क नहीं था
हर जगह एक सूबेदार था हर जगह सूबा था
अब बचा महबूबा पर महबूबा था कैसे लिखूँ
</poem>