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{{KKRachna
|रचनाकार =रघुवीर सहाय
}}
<poem>
अग्रेज़ों ने
अंग्रेज़ी पढ़ा कर
प्रजा बनाई
अंग्रेज़ी पढ़ा कर
अब हम
प्रजा बना रहे हैं।
</poem>
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|रचनाकार =रघुवीर सहाय
}}
<poem>
अग्रेज़ों ने
अंग्रेज़ी पढ़ा कर
प्रजा बनाई
अंग्रेज़ी पढ़ा कर
अब हम
प्रजा बना रहे हैं।
</poem>