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{{KKRachna
|रचनाकार =रघुवीर सहाय
}}

<poem>
अगर कहीं मैं तोता होता
तोता होता तो क्या होता?
तोता होता।
होता तो फिर?

होता, 'फिर' क्या?
होता क्या? मैं तोता होता।
तोता तोता तोता तोता
तो तो तो तो ता ता ता ता
बोल पट्ठे सीता राम
</poem>