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{{KKRachna
|रचनाकार=येव्गेनी येव्तुशेंको
|संग्रह=धूप खिली थी और रिमझिम वर्षा / येव्गेनी येव्तुशेंको
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[[Category:रूसी भाषा]]
<Poem>
बदी को
याद रखने में
मत ख़राब करो समय
भीतर की आज़ादी को यह दिक करता है
बाधा डाले, मन को बाँधे
रुक जाता है हर काम
सहजता में पड़े कठिनाई
मनुष्य रहता है परेशान

नेकी को
रखो तुम याद
मानो इसे प्रभु का प्रसाद
और मित्र-बंधुओं का आशीर्वाद
मैं कहता हूँ
तब काम में मन लगेगा
इधर-उधर कहीं नहीं डिगेगा
और जीवन यह अपना तब
निरन्तर सहज गति से चलेगा
</poem>