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एक अहसास / रंजना भाटिया

12 bytes removed, 16:22, 17 फ़रवरी 2009
और जब नये फूल खिलते हैं तो,
उसको "वसन्त" कहते हैं,
दूर मिलने का अभास आभास लिए
जब धरती गगन मिलते हैं,
तो उसे "क्षितिज" कहते हैं
पर,
तेरा मेरा मिलना क्या है .....? 
इसे न तो "वसन्त",
तो "पतझड़",
और न "क्षितिज" कहते हैं!
यह तो सिर्फ़ एक अहसास है,
अहसास,
कुछ नही, एक पगडंडी है,
तुमसे मुझ तक आती हुई,
 
मैं और तुम,
तुम और मैं,
जिसके आगे शून्य है सब.........
<poem>
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