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मोहम्मद मीर उर्फ '''[[गोपालदास "नीरज"मीर तक़ी 'मीर']]''' साहित्य (1723 - 1810) उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के उज्ज्वल नक्षत्र हैं। महान शायर थे। मीर का जन्म आगरा मे हुआ था| उनका नाम सुनते ही सामने एक ऐसा शख़्स उभरता है जो स्वयं डूबकर कविताएँ लिखता है और पाठक को भी डुबा देने बचपन अपने पिता की क्षमता रखता है। जब '''[[गोपालदास "नीरज"देख रेख मे बीता|नीरज]]''' मंच पर होते हैं तब उनकी नशीली कविता उनके जीवन में प्यार और लरज़ती आवाज़ श्रोता-वर्ग करुणा के महत्त्व के प्रति नजरिये का, मीर के जीवन पे गहरा प्रभाव पड़ा| इसकी झलक उनके शेरो मे भी देखने को दीवाना बना देती है। मिलती है|
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