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मीर तक़ी 'मीर' / परिचय

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“मीर के शि`र शेर का अह्‌वाल कहूं क्‌या क्या ग़ालिब<br>जिस का दीवान कम अज़-गुल्‌शनगुलशन-ए कश्‌मीर कश्मीर नही”
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मोहम्मद मीर उर्फ मीर तकी "मीर" (1723 - 1810) उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे।मीर का जन्म आगरा मे हुआ था | था। उनका बचपन अपने पिता की देख रेख मे बीता | बीता। उनके जीवन में प्यार और करुणा के जीवन मे महत्त्व के प्रति नजरिये का , मीर के जीवन पे गहरा प्रभाव पर जिसकी पड़ा। इसकी झलक उनके शेरो मे भी देखने को मिलती है | है। पिता के मरणोपरांत ११ की वय मे वो आगरा छोड़ कर दिल्ली आ गये | गये। दिल्ली आ कर उन्होने अपनी पढाई पूरी की और शाही शायर बन गये | गये। अहमद शाह अब्दाली के दिल्ली पर हमले के बाद वह अशफ - उद - दुलाह के दरबार मे लखनऊ चले गये | गये। अपनी ज़िन्दगी के बाकी दिन उन्होने लखनऊ मे ही गुजारे |गुजारे।
अहमद शाह अब्दाली और नादिरशाह के हमलों से कटी-फटी दिल्ली को मीर तक़ी मीर ने अपनी आँखों से देखा था | था। इस त्रासदी की व्यथा उनके कलामो मे दिखती है, अपनी ग़ज़लों के बारे में एक जगह उन्होने कहा था-
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