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सृजन के क्षण / कुंवर नारायण

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|रचनाकार=कुंवर नारायण
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रात मीठी चांदनी है,
मौन की चादर तनी है,
एक मुझमें रागिनी है
जो कि तुमसे जागनी है।
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