भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माथा न मेंमद लाओ / राजस्थानी

36 bytes removed, 01:22, 9 सितम्बर 2016
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=राजस्थानीKKCatRajasthaniRachna}}<poem> 
माथा न मेंमद लाओ, भंवर म्हांरी रखडी रतन जडाय।
ओजी म्हारी सहेल्यां जोवे बाटो, भंवर म्हांने खेलण द्यों गणगौर।
जी थांकी सहेळ्यां ने दोवंण गोट, सुन्दर थाने खेळणं दां गणगौर।
खेलण द्यो गणगौर
</poem>