भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
|संग्रह=वेरा, उन सपनों की कथा कहो! / आलोक श्रीवास्तव-२
}}
<poemPoem>
चांद पकड़ने को बढ़ती है एक औरत
अपनी स्मृतियों बाहर आ कर