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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-2 }} <poem> कनेर के उन फूलों पर तुम्ह...
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{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-2
}}
<poem>
कनेर के उन फूलों पर
तुम्हारी अंगुलियों का
वह सकुचाया-सा स्पर्श
मिटा नहीं
अनंतजीवी हो उठा
हर कनेर पर
वह हल्की छुअन
मुझे लिखी मिली है …
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-2
}}
<poem>
कनेर के उन फूलों पर
तुम्हारी अंगुलियों का
वह सकुचाया-सा स्पर्श
मिटा नहीं
अनंतजीवी हो उठा
हर कनेर पर
वह हल्की छुअन
मुझे लिखी मिली है …
</poem>