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संगिनी / रंजना भाटिया
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13:02, 27 फ़रवरी 2009
<poem>
यूँ जब अपनी
पलके
पलकें
उठा के
तुम देखती हो मेरी तरफ़
मैं जानता हूँ
द्विजेन्द्र द्विज
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