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जो जंजीरें खुलीं / हरकीरत हकीर

No change in size, 21:05, 28 फ़रवरी 2009
इश्‍क के रास्‍तों से गुज़रता रहा
तारों ने झुक के जो छुआ लबों को
नज्‍म़ शरमा के हुई छुईमुई,-छुईमुई
</poem>
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