भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
"[[कम्पनी बाग़ / कीर्ति चौधरी]]" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=कीर्ति चौधरी]][[Category:कविताएँ]][[Category: |संग्रह=’तीसरा सप्तक’ में शामिल रचनाएँ / कीर्ति चौधरी]]}}{{KKCatKavita}}<poem>लतरें हैं, ख़ुशबू है,पौधे हैं, फूल हैं ।ऊँचे दरख़्त कहीं, झाड़ कहीं ,शूल हैं ।