भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सह पलायन / आरागों

435 bytes added, 18:51, 8 मार्च 2009
'''सह पलायन'''
एक खुशी फूटती है
वीणा में नपे तीन समय में
एक खुशी फूटती है जंगल में
जिसे मैं कहना जानता नहीं
सिर मोड़ो, हँसी मोड़ो
किसके प्यार के लिए
कैसे प्यार के लिए
 
मेरे प्यार के लिए
Mover, Uploader
752
edits