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मिलना / एवा लिसा मान्नेर

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<poem>
तुम्हें दिखाऊँगी वह राह
जिसपर चली थी मैं

अगर तुम आओगे
तुम अगर आओगे लौट कर
मुझे खोजते हुए किसी दिन

देखो!
सब कुछ बदल रहा है थोड़ा-थोड़ा हर पल
होता जा रहा है आडम्बरविहीन और आदिम
(जैसे बच्चों के बनाए हुए चित्र
जीवन के पहले-पहले रूप
आत्मा के अक्षर)

किसी गर्म जगह पर
कोमल और धुँधली सी जगह पर

तब वहाँ मैं नहीं दिखुँगी
वहाँ होगा एक जंगल
(मैं बन चुकी होऊँगी जंगल)
</poem>


'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
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