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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सतपाल 'ख़याल' |संग्रह= }} [[Category:ग़ज़ल]] <poem> उस की हसरत ...
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{{KKRachna
|रचनाकार=सतपाल 'ख़याल'
|संग्रह=
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ
ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ
मेहरबां होके बुलालो मुझे चाहो जिस वक्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ के आ भी न सकूँ
डाल कर ख़ाक मेरे खून पे क़ातिल ने कहा
कुछ ये मेहंदी नहीं मेरी के मिटा भी न सकूँ
ज़ब्त कमबख्त ने और आ के गला घोंटा है
के उसे हाल सुनाऊँ तो सुना भी न सकूँ
ज़हर मिलता ही नहीं मुझको सितमगर वरना
क्या कसम है तेरे मिलने की के खा भी न सकूँ
उस के पहलू में जो लेजा के सुला दूँ दिल को
नींद ऎसी उसे आए के जगा भी न सकूँ
नक्श-ऐ-पा देख तो लूँ लाख करूँगा सजदे
सर मेरा अर्श नहीं है कि झुका भी न सकूँ
बेवफा लिखते हैं वो अपनी कलम से मुझ को
ये वो किस्मत का लिखा है जो मिटा भी न सकूँ
इस तरह सोये हैं सर रख के मेरे जानों पर
अपनी सोई हुई किस्मत को जगा भी न सकूँ
[ज़ब्त=सहनशीलता)[ हसरत=इच्छा)[पहलू=गोद]
</poem>
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|रचनाकार=सतपाल 'ख़याल'
|संग्रह=
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ
ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ
मेहरबां होके बुलालो मुझे चाहो जिस वक्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ के आ भी न सकूँ
डाल कर ख़ाक मेरे खून पे क़ातिल ने कहा
कुछ ये मेहंदी नहीं मेरी के मिटा भी न सकूँ
ज़ब्त कमबख्त ने और आ के गला घोंटा है
के उसे हाल सुनाऊँ तो सुना भी न सकूँ
ज़हर मिलता ही नहीं मुझको सितमगर वरना
क्या कसम है तेरे मिलने की के खा भी न सकूँ
उस के पहलू में जो लेजा के सुला दूँ दिल को
नींद ऎसी उसे आए के जगा भी न सकूँ
नक्श-ऐ-पा देख तो लूँ लाख करूँगा सजदे
सर मेरा अर्श नहीं है कि झुका भी न सकूँ
बेवफा लिखते हैं वो अपनी कलम से मुझ को
ये वो किस्मत का लिखा है जो मिटा भी न सकूँ
इस तरह सोये हैं सर रख के मेरे जानों पर
अपनी सोई हुई किस्मत को जगा भी न सकूँ
[ज़ब्त=सहनशीलता)[ हसरत=इच्छा)[पहलू=गोद]
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