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पर मैं खुद ही प्यासा हूं मरुथल सा<br>
यह बात समंदर को समझा देना।<br><br>
चांदनी चढ़ाता हूं उन चरणों पर<br>
जो अपनी राहें आप बनाते हैं<br>