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मानुस हौं तो वही / रसखान

No change in size, 19:02, 6 सितम्बर 2006
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मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥