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|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-2|संग्रह=वेरा, उन सपनों की कथा कहो! / आलोक श्रीवास्तव-२
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अभी अभी लांघे है तुमने अट्ठारह वसंत
अभी अभी तुमने देखा है एक सपना
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