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लफ़्ज़ अगर कुछ ज़हरीले हो जाते हैंहोंठ न जाने क्यूँ नीले हो जाते हैं
उनके बयाँ जब बर्छीले हो जाते हैंबस्ती में ख़ंजर गीले हो जाते हैं
चलती हैं जब सर्द हवाएँ यादों कीज़ख़्म हमारे दर्दीले हो जाते हैं
जेब में जब गर्मी का मौसम आता हैहाथ हमारे , ख़र्चीले हो जाते हैं
आँसू की दरकार अगर हो जाए तोयाद के बादल रेतीले हो जाते हैं
रंग-बिरंगे सपने दिल में ही रखनाआँखों में सपने गीले हो जाते हैं
फ़स्ले-ख़िज़ाँ जब आती है तो ऐ गुलशन
फूल जुदा, पत्ते पीले हो जाते हैं
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