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हमको ऐसे मिली ज़िंदगी ! / शार्दुला नोगजा
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06:36, 11 अप्रैल 2009
पेड़ बौने लिये, बोन्साई खेत सी
टूटी इक गिटार सी,
क्लिष्टव्यवहार
क्लिष्ट व्यवहार
सी
नाम भी ना रहे याद, भूले प्यार सी
हमको ऐसे मिली कि हँसी आ गई
फिर गले से लगाया तो शर्मा गई
ज़िंदगी प्यार के झूठे ई-मेल सी
पुल पे आई विलम्बित थकी रेल सी !
</poem>
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