भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरधर राठी }} <poem> अब हो कब हो शाम सूरज डूबे दिये जल...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गिरधर राठी
}}
<poem>
अब हो कब हो शाम
सूरज डूबे
दिये जलाएँ !
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=गिरधर राठी
}}
<poem>
अब हो कब हो शाम
सूरज डूबे
दिये जलाएँ !
</poem>