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Kavita Kosh से
यक़ीं कुछ देर से होगा नहीं अब दिन वो पहले से
घरों से उबकर अब लोग मैख़ाने मैख़ाने में आ बैठे
सजी हैं महफ़िलें देखो यहाँ कितेने क़रीने से