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{{KKRachna
|रचनाकार=नित्यानन्द तुषार
}}
<Poem>
ख़ुद से बाहर अब निकलकर देखें
दूसरों के गम़ भी चलकर देखें
टूटने पर टूट जाएगा दिल
आप सपनों को सँभलकर देखें
रोशनी देते रहे जो कल तक
उनकी खात़िर आज जलकर देखें
ये बहुत मुश्किल सही फिर भी हम
इस जहाँ को ही बदलकर देखें
उनको गिरने से बचा लेना तुम
जो ये सोचें हम फिसलकर देखें
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=नित्यानन्द तुषार
}}
<Poem>
ख़ुद से बाहर अब निकलकर देखें
दूसरों के गम़ भी चलकर देखें
टूटने पर टूट जाएगा दिल
आप सपनों को सँभलकर देखें
रोशनी देते रहे जो कल तक
उनकी खात़िर आज जलकर देखें
ये बहुत मुश्किल सही फिर भी हम
इस जहाँ को ही बदलकर देखें
उनको गिरने से बचा लेना तुम
जो ये सोचें हम फिसलकर देखें
</poem>