भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छिपकली / ऋषभ देव शर्मा

700 bytes added, 19:32, 21 अप्रैल 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह= }} <Poem> चिपक गई है मेरे दिमा...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=
}}
<Poem>

चिपक गई है

मेरे दिमाग में

एक प्रागैतिहासिक छिपकली


निरंतर फड़फड़ा रही है

अपने लंबे मैले पंख


और प्रदूषित होती जा रही है

पीयूष रस से भरी मेरी डल झील

गोताखोर तलाशेंगे

कुछ दिन बाद

इसके तल में

आक्सीजनवाही मछलियों के

जीवाश्म !